महानगर में कहानी

मुंबई सबसे अलग है। कोई भी शहर व्यापार, उद्योग, जनसंख्या आदि की दृष्टि से महानगर कहलाने लगता है। पर यह बड़ा होना किसी नगर को महानगर नहीं बनाता। महानगर की अपनी एक संस्कृति अपनी एक सभ्यता होती है।

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पुराकथाओं का सच

पुराकथाएँ काल्पनिकता के अद्भुत कायावरण में ‘सत्य’ को छिपाए रहती है। आमतौर पर लोग कथा के चमत्कार में बरसों उसकी आवृत्ति करते रहते हैं।

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आँखों में लहू दिल में जो कांटा नहीं होता

आँखों में लहू दिल में जो कांटा नहीं होता फिर तुमसे अदावत का इरादा नहीं होता इतना तो बताओ कि सियासत तेरे घर में क्यों रात

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नए रिश्तों के अंदाज-ए बयां से

नए रिश्तों के अंदाज-ए बयां से दरारें कम न होंगी आशियाँ से मेरे पैरों में कितने हैं फफोले किसी दिन पूछ लेना आसमाँ से

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याद कीजिए पापा

स्मृति से अधिक महत्वपूर्ण है विस्मृति विस्मृति से बड़ा मरहम और कुछ नहीं। ‘याद कीजिए पापा...’ बेटा सामने खड़ा था और उनसे कह रहा था।

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