लुभाने लगा है सगा धीरे धीरे
नयन वाण मासूमियत से चला तो असर दिल पे होने लगा धीरे धीरेयकीनन सबेरा जवाँ हो रहा जब मुहब्बत का सूरज उगा धीरे धीरेपिलाया जिसे दूध छाती का वो ही
नयन वाण मासूमियत से चला तो असर दिल पे होने लगा धीरे धीरेयकीनन सबेरा जवाँ हो रहा जब मुहब्बत का सूरज उगा धीरे धीरेपिलाया जिसे दूध छाती का वो ही
चल चलें बिखरे पड़े विज्ञान की योजना पटरी पे लाने के लिएदूर हो आपस की ये नाराज़गी आँख तरसे दिल मिलाने के लिएकाट ली जीवन चटाई पर मिले चार गज कुटिया बनाने के लिए
वो समंदर है सूख जाएगा कोई नक्शा गजब उकेरा हैलोग चलते हैं इस भरोसे पर दो कदम दूर बस सवेरा हैचाह कर भी न वो सँभल पाया इस तरह मुफलिसी ने घेरा है
फाजिल बातों में उलझाने का मतलब असली मुद्दों से केवल भटकाने हैंपरिभाषित कर कोरोना घर-घर कहती जिनको भी अपना कहते, बेगाने हैं
तुलसीदास की दृष्टि निश्चय ही सदैव आदर्श-चित्रण की ओर रहती थी, पर इस कारण कालिदास के आदर्श को कम स्वच्छ नहीं कहा जा सकता।
जीवन की गति है नदिया का बस बहते जाना लोक के लिए खा मौसमी थपेड़े, मुसकानातृषित धरा की तृप्ति के लिए मंदिर फुहार बनो।