डॉ. अम्बेडकर की प्रासंगिकता

इस अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई का विस्तार डॉ. अम्बेडकर ‘जाति का विनाश’ और ‘अंतरजातीय विवाह’ के पक्ष में करते हैं। बाद में जाति के विनाश के प्रक्षिप्त को वे खुद समझ जाते हैं, इधर अंतरजातीय विवाह और प्रेम विवाह से कैसे दलितों के घरों की तबाही हो रही है किसी से छुपा नहीं है।

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मेरी उम्र के लड़के

रोज क्लास से लॉज की दूरी में नौकरी से इंटरव्यू देने तक को सोचते जाते हैं लड़के लड़के, रात तक पूरा डेटा खर्च करने के बाद अपने सबसे धनी दोस्त को ‘तुम’ में संवादित कर

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मिठाई बनाने वाले

आँखों में परख परख भी एकदम पाग चिह्न लेने वाली इतने सब के बाद बोली तो मीठी होनी ही थी सो भी है। लेकिन कलेजा? मठूस हलवाई कहीं का बचपन में ही काले रसगुल्ले की कीमत

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है जो परिवर्तन

है जो परिवर्तन नियम तो सब बदलना चाहिए था फिर तो सूरज को भी पश्चिम से निकलना चाहिए था यूँ तो बदला जा चुका है जाने क्या क्या लेकिन अब तक वो नहीं बदला गया है जो बदलना चाहिए था

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आह एक…..सत्यकथा

उसकी जवानी के रास्ते में सबसे पहले उससे एक मुसलमान टकराया जो उसकी जुल्फों का कैदी होना चाहता था लेकिन उसने उसको सूअर कह दिया।

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कर्म ही पूजा है

काम की गुणवत्ता ऐसी कि अन्य तो करते ही उसकी नकल कंपनी की भी जय-जय होती, वह मालामाल होतीकंपनी जब भी संकट में फँसती वही तारणहार, संकटमोचक होता वह जितना देता उससे उतनी ही माँग बढ़ जाती

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