डॉ. अम्बेडकर की प्रासंगिकता
इस अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई का विस्तार डॉ. अम्बेडकर ‘जाति का विनाश’ और ‘अंतरजातीय विवाह’ के पक्ष में करते हैं। बाद में जाति के विनाश के प्रक्षिप्त को वे खुद समझ जाते हैं, इधर अंतरजातीय विवाह और प्रेम विवाह से कैसे दलितों के घरों की तबाही हो रही है किसी से छुपा नहीं है।