रंगरेज

रंग सकता था दीवाल को भी हरा, सफेद, काला या कोई भी रंग जो उसके पास होता रंग नहीं होता तो रंग सकता था सड़क से समेटकर धूल का भूरा रंग

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आधुनिकता के प्रभाव की कहानियाँ

युवा लेखिका वंदना जोशी का पहला कहानी संग्रह ‘नगर ढिंढोरा’ के नाम से प्रकाशित हुआ है, जिसमें विभिन्न भाव छवियों की ग्यारह कहानियाँ हैं।

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बेटी

पर मम्मी इतनी सुंदर दुनिया में हमारे अपने ही हम बेटियों से नफरत क्यों करते हैं? हमें भी तो इस सुंदर दुनिया को देखने का मानवीय हक है।

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अनाज फटकती हुई औरतें

इच्छाएँ पूरी होने के दिन होते हैं अनाज फटके जाने के दिनऔरतें बाकायदा गीत गा रही होती हैं आपस में सपने बतिया रही होती हैं

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तीन पीढ़ियों की–एक साहित्यिक कड़ी का अवसान

शीला जी साहित्यकार नहीं थीं लेकिन तीन पीढ़ियों की साहित्यिक विरासत की गवाह थीं। साहित्य और साहित्यकारों के प्रति उनके मन में असीम आदर का भाव रहता।

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‘भारतीय सभ्यता वाचिक परंपरा में विकसित होती रही’ –प्रो. चंद्रशेखर कंबार

प्राचीन भारतीय साहित्य का अधिकांश भाग बोलचाल के शब्दों का व्यक्त रूप है, जो संरक्षण की दृष्टि से वाचिक परंपरा की संपत्ति है। भारतीय इतिहास में लेखन का परिचय विदेशियों के प्रभाव से बाद में हुआ। पाश्चात्य सभ्यता पुस्तक केंद्रित है, जबकि भारतीय सभ्यता वाचिक परंपरा में विकसित होती रही।

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