साहित्य-संस्कृति में सनी-पगी एक गृहिणी

उस परिसर के कोने-कोने में साहित्य की गंध फैलाने में सहायक बनीं। समाज सेवा के क्षेत्र में तो अद्वितीय थीं। शीला दी हमारी यादों में बनी रहेंगी!

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नई धारा संवाद : सूर्यबाला (कथा-लेखिका)

कथा साहित्य और समकालीन व्यंग्य में एक जाना-माना नाम है डॉ. सूर्यबाला का। अपने छह उपन्यास, पंद्रह कथा-संग्रह और चार व्यंग्य-संग्रह में सूर्यबाला जी ने अलग-अलग रूप से मध्यवर्ग के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पक्षों को दर्शाया है। अपनी रचनाओं और उनकी विविधताओं के लिए वह जानी गईं। आज इसी पर हम उनसे चर्चा करेंगे और साथ ही सुनेंगे उन्हीं के द्वारा उनकी कुछ रचनाओं का पाठ।

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कदंब का पेड़

यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे ले देतीं यदि मुझे बाँसुरी तुम दो पैसे वाली किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली

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