आचार्य शिवपूजन सहाय (दूसरी कड़ी)
कहा यह जाता है कि उनके जन्म के पहले कई भाई पैदा होकर चल बसे। शायद उनकी माँ को पुत्रयोग नहीं था। इसीलिए इनके जन्म के समय यह व्यवस्था की गई कि माँ की नज़र पहले अपने बच्चे पर न पड़ कर किसी अन्य नवजात पशु पर पड़े।
कहा यह जाता है कि उनके जन्म के पहले कई भाई पैदा होकर चल बसे। शायद उनकी माँ को पुत्रयोग नहीं था। इसीलिए इनके जन्म के समय यह व्यवस्था की गई कि माँ की नज़र पहले अपने बच्चे पर न पड़ कर किसी अन्य नवजात पशु पर पड़े।
डॉ. सिन्हा एक संस्था थे और उनके चरणों में बैठकर बिहार ने सर उठाना सीखा है। उन्होंने दो-तीन पीढ़ियों का जैसा पथ-प्रदर्शन किया वह हर कोई जानता ही है, उनकी ठीक बाद वाली पीढ़ी के राजा साहब हैं।
उसका घड़ा भर गया है शायद। उसने मेरी ओर देखा। मैं उसकी ओर देख रहा था, फिर भी लगा कि कोई नई घटना हो गई हो। वह मुस्कुराई। क्यों? इसलिए कि उसका यौवन यही आज्ञा देता है।
गालियों के शब्द जितनी आसानी से मुँह से बाहर आ जाते थे, शिष्ट शब्दों का सूझना उतना ही कठिन मालूम पड़ता था।