मैं भी रहने लगा गम से गाफिल बहुत

मैं भी रहने लगा गम से गाफिल बहुत रात दिन अब तड़पने लगा है दिल बहुतयूँ हुई रोज पत्थर की बारिश यहाँ सब के सब सर मिले हमको घायल बहुत

और जानेमैं भी रहने लगा गम से गाफिल बहुत

जो बारे मुहब्बत उठाया न होता

जो बारे मुहब्बत उठाया न होता सितम आपने मुझ पे ढाया न होताअगर जानते आप भी बेवफा हैं कभी आपसे दिल लगाया न होता

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