समकालीन कविता : परिवेश और मूल्य
हमें यह कहने में सकुचाहट नहीं कि युवा कवि राजकिशोर राजन का काव्य-परिवेश, प्रकृति और मानवीय अंतर्संबंधों के यथार्थ के मध्य दुर्निवार दुःख-तंत्र और उसके अंतःसंघर्ष की वह काव्य-कथा है जो सहज भाषा में लोकजीवन की संश्लिष्ट और अविकल अर्थ-छवियाँ रचती हैं।