साहित्य के सरोकार एवं साहित्कारों के दायित्व

दुनिया में साहित्य सृजन का कार्य ही ऐसा है जिसके लिए प्रकृति स्वयं व्यक्ति का चयन करती है। ऐसे प्रकृति द्वारा चयनित व्यक्ति ही

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‘शब्द की सत्ता ही निरंकुश सत्ताओं को मानवीयता के मार्ग पर ला सकती हैं’–माधव कौशिक

रचना का एक साध्य है जीवन का रंग। ‘वीणा’ के संपादक राकेश शर्मा ने कहा कि मेरे लिए सर्जना-कर्म एक उत्सव है, जिसमें अहं से वयं की यात्रा पूरी होती है।

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रचनाकारों का सुवास

कवि कदमकुआँ स्थित महिला चरखा समिति में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आमंत्रण पर काव्यपाठ करते थे। स्वतंत्र भारत में किंचित पहली बार किसी जनांदोलन में पटना की सड़कों पर कवियों-रचनाकारों की सीधी भागीदारी दर्ज की गई।

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फकीर मोहन सेनापति का कथा-साहित्य

फकीर मोहन सेनापति ओड़िया साहित्य का अमर कथाशिल्पी हैं। ओड़िया साहित्य को नया यथार्थवादी लेखन की भूमि तैयार करने का श्रेय इन्हें

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वर्तमान विसंगतियों का रेखांकन

नवनीत मार्गदर्शी हो तथा विचारधाराएँ जीवनप्रवाह की सततता को नवोन्मेषी बनाती हों और डॉ. शोभा जैन के इस वैचारिक

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रोटी देता खेत है

रोटी देता खेत हैबिना खेत के महल-अटारी धूप चमकती रेत है। झूठी शानो-शौकत लेकर साहब बड़े तबाह हैं कोरोना के एक डोज मेंरंक हो गए शाह

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