समीक्षकों के समीक्षक कुमार विमल
मैं कुमार विमल को ‘समीक्षकों का समीक्षक’ मानता हूँ। पुस्तकें कैसे समीक्षित की जाती हैं, समीक्षकों को इसे कुमार विमल से सीखना चाहिए। इधर ‘चिंतन-सृजन’ के संपादक डॉ. बी.बी. कुमार ने उनसे मेरी पुस्तक ‘उत्तर-आधुनिकता : बहुआयामी संदर्भ’ की समीक्षा लिखने का आग्रह किया था। उन्होंने यह दायित्व स्वीकार कर लिया था, पर दुर्योगवश वह समीक्षा पूरी नहीं हो पाई।