एंटिक फर्नीचर

नवीन चुपचाप खड़ा देख रहा था और सोच भी रहा था कि कैसे कुछ साल पहले सोमा ने माँ के पुराने सामान और फर्नीचर को रद्दी के

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तंज

नुक्कड़ पर जमा लड़कों का ग्रुप निशा को देखकर फब्तियाँ कस रहा था। निशा उन्हें नजरअंदाज़ करते हुए थोड़ा आगे बढ़ जाती है और बस का इंतजार करने लगती है।

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दहलीज़

दहलीज़ की सीमा पुरुषों के लिए भी बराबर है वरुण। तीन साल पहले तुम गृहस्थी की दहलीज़ को लाँघ चुके हो। इतने समय से मैं अकेली अपना और बच्चों की जिम्मेदारियाँ उठा रही हूँ

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मुक्ति

पार्टी से लौटे तो देखा कि कमरे में ही वृद्ध ने शौच-पेशाब करके गंदगी फैला रखी है। बेटे-बहू का मूड खराब हो गया। बच्चे तो दूर से ही देखकर अपने कमरे में चले गए।

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ये न पूछो कि कौन सी दिल्ली

दिल है, दरिया है और प्यासे भी मीर ओ ग़ालिब की शायरी दिल्लीयूँ तो आए गए कई ज़ालिम बारहा लुट के फिर बसी दिल्ली

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मैं और मेरा कविता कर्म

मैंने ‘जाति’ पर सबसे ज्यादा यदि कविताएँ लिखी हैं तो उसके पीछे उपर्युक्त घटनाएँ और दुर्घटनाएँ ही परोक्ष रूप से काम करती रही हैं। मेरा अतीत यदि कुछ और होता तो कभी भी जाति मेरा प्रिय विषय नहीं होती।

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