नए वर्ष का स्वागत
गत एक वर्ष के अंदर यह विचार और भी दृढ़ हो गया है कि निर्बलों का देवता ‘राम’ है, बलशालियों की देवी नियति–और नियति मनमौजी है, तरंगी है।
गत एक वर्ष के अंदर यह विचार और भी दृढ़ हो गया है कि निर्बलों का देवता ‘राम’ है, बलशालियों की देवी नियति–और नियति मनमौजी है, तरंगी है।
हिंदी एकांकी क्षेत्र में पाश्चात्य टेकनीक एवं विचारधारा का अध्ययन एवं मौलिक प्रतिभा लेकर जो नाट्यकार अवतीर्ण हुए हैं
आधुनिक जर्मन कविता में प्रकृति, मनोविज्ञान, वास्तविकता, आदर्श, इतिहास एवं दर्शन का समन्वय परम सुंदर रूप में व्यक्त हुआ है।
चाँद, तुम सब के, किसी का मैं नहीं हूँ! भाग्य ऐसा, तुम कहीं हो, मैं कहीं हूँ!!
ओफ्फोह! यह चुड़ैल आज मुझे पढ़ने नहीं देगी! कोई झख इसके सिर पर सवार है। इसकी चिल्ल-पों के मारे पढ़ाई में मन ही नहीं लग रहा है।...बाप रे बाप!
साहित्य और समाज का संबंध ढूँढ़ने की जैसी प्रबल चिंता समालोचकों में पाई जाती है, वैसी साहित्य-सर्जक कलाकारों में नहीं।