हमें यह कहना है!
आधुनिक भारत का सर्वश्रेष्ठ चित्रशिल्पी हमारे बीच से उठ गया। एक-एक कर हमारे दिग्गज हमें छोड़ते जा रहे हैं।
आधुनिक भारत का सर्वश्रेष्ठ चित्रशिल्पी हमारे बीच से उठ गया। एक-एक कर हमारे दिग्गज हमें छोड़ते जा रहे हैं।
ज़िंदगी के स्वप्न मेरे गान के आधार होंगे। आज के विश्वास मेरे कल सभी साकार होंगे।
कुआर के फैले हुए आकाश में कुछ सुधर उजले मेघ– जिन पर देर से चलता हुआ थकने लगा है
मस्तक पर निदाघ का आतप पग के नीचे ज्वलित मरुस्थल, पथिक मध्य में तप्त-दग्ध
कल शाम को– अशोक राजपथ पर। मिले कविवर मित्र मेरे हाथ में लिए रजिस्टर।