हिंदी लघुकथा में मेरी सहभागिता

मेरा यह सौभाग्य रहा है कि मैं अभी तक लघुकथा के प्रायः सभी महत्त्वपूर्ण संकलनों का एक उल्लेखनीय हिस्सा रहा हूँ।

और जानेहिंदी लघुकथा में मेरी सहभागिता

एक जीवनीकार की मुश्किलें

उस लेखक का आप क्या कर सकते हैं जिसके समूचे साहित्य में उसका जीवनानुभव घुसा हुआ हो! यह नागार्जुन ही थे

और जानेएक जीवनीकार की मुश्किलें

नरक के बावजूद

असुरक्षा, अभाव और भटकाव का जो दर्द उसके सीने में उठा, उसने सहसा ही उसे एक आम भारतीय स्त्री में बदल दिया और वह मेरी उस भावुकता, जिसे वह प्यार करती थी, को कोसने लगी। बात बढ़ती गई और एक-दूसरे के प्रति विरोध, अविश्वास और अवज्ञा का भाव भी उग्र होता गया।

और जानेनरक के बावजूद

मैं और मेरा समय

अपने विषय में सोचता हूँ तो पाता हूँ कि मेरा जन्म जगराँव (पंजाब) में हुआ। जगराँव या पंजाब से मेरा इतना ही नाता है कि मैं वहाँ पैदा हुआ और अपने जीवन के पहले नौ वर्ष पंजाब के अलग अलग उन शहरों में बिताए–जहाँ जहाँ, मेरे पिता का तबादला होता रहा।

और जानेमैं और मेरा समय

मुझे याद है (ग्यारहवीं कड़ी)

‘युवक’ के साथ ही फिर मेरा जीवन घोर राजनीति का शुरू होता है, अत: उसे प्रारंभ करने के पहले मैं उन साहित्यिक गुरुजनों और साथियों की चर्चा कर लेना चाहता हूँ

और जानेमुझे याद है (ग्यारहवीं कड़ी)