मुझे याद है (छठी कड़ी)

फिर मेरे मामा जी से बोले–रामवृक्ष की शादी तो अब होनी चाहिए। और, लगे हाथों एक लड़की की चर्चा भी छेड़ दी।

और जानेमुझे याद है (छठी कड़ी)

मुझे याद है (पाँचवी कड़ी)

उस दिन मेरी ममेरी बहन की बिदागरी थी। आँगन में, दरवाज़े पर धूम मची हुई थी। जिनके घर में बेटियाँ ही बेटियाँ हों, उनके घर में बेटियों के आदर-सम्मान का क्या कहना ?

और जानेमुझे याद है (पाँचवी कड़ी)

मुझे याद है (चौथी कड़ी)

पिताजी के श्राद्ध में मेरे मामाजी बेनीपुर पधारे थे। उन्होंने मेरे बाबा से आग्रह किया कि मुझे ननिहाल जाने दें। बाबा ने इस आग्रह को मान लिए।

और जानेमुझे याद है (चौथी कड़ी)