हिंदी गजल के मिज़ाज में प्रहार और गुस्सा है

गजल का जो परंपरागत रूप रहा है, वह प्रेम का है। उर्दू गजल में भी हम इस परंपरागत रूप को देखते हैं। परंतु गजल के परंपरागत रूप के स्वर को हिंदी गजल ने बदला। संरचना वही रही परंतु विषय बदल गया। दुष्यंत प्रगतिशील विचारधारा के कवि थे।

और जानेहिंदी गजल के मिज़ाज में प्रहार और गुस्सा है

‘लोग अंततः किताबों की ओर लौटेंगे’

पुस्तकें कभी समाप्त नहीं होंगी। एक तात्कालिकता है, जो चिरंतन नहीं हैं। लोग लौटेंगे, पुस्तकों की ओर लौटेंगे।

और जाने‘लोग अंततः किताबों की ओर लौटेंगे’

संस्मरण वृद्धावस्था का विषय है

डॉ. कान्तिकुमार जैन पेशे से अध्यापक और फितरत से संस्मरणकार के अनुसार जो न्याय नहीं कर सकते उन्हें संस्मरण नहीं लिखने चाहिए।

और जानेसंस्मरण वृद्धावस्था का विषय है

भाषा विवाद कूपमंडूक मस्तिष्क की देन है

वास्तव में, हिंदी-उर्दू विवाद घोर रूप से कूपमंडूक प्रकार के मस्तिष्क की देन है’ अवैज्ञानिक, अनप्रैक्टिकल केवल लड़ाई कराने वाली है।

और जानेभाषा विवाद कूपमंडूक मस्तिष्क की देन है

साहित्य केवल बुद्धि से नहीं रचा जाता

कविताएँ लिखनी शुरू की, तो अपना उपनाम रखा ‘घायल’। वर्षों तक ‘घायल’ ही रहा, अमरेंद्र कुमार ‘घायल’।

और जानेसाहित्य केवल बुद्धि से नहीं रचा जाता

बड़ा फर्क है प्रेम करने और निभाने में

निभाने और मन से अपनी इच्छा के अनुसार प्रेम करने में फर्क होता है, जो दूसरों को दिखता नहीं।

और जानेबड़ा फर्क है प्रेम करने और निभाने में