जिस्म जैसे मकान मिट्टी का

जिस्म जैसे मकान मिट्टी का क्या भरोसा है जान मिट्टी काकिसको होता है मोह मिट्टी से कौन रखता है ध्यान मिट्टी काअस्ल में चाँद-तारे मिट्टी हैं यानी है हर गुमान मिट्टी काख्वाब थे दो दिलों के नाजुक-से

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जब तक दुनियावालों का डर रहता है

जब तक दुनियावालों का डर रहता है सिर पे इक भारी-सा गट्ठर रहता हैसब्र का मतलब इक दिन उससे पूछो तुम जो लोगों के ताने सहकर रहता हैदर्द, उदासी, आँसू, आहें, समझौते

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ऐसा उठा अचानक तूफान जिंदगी में

ऐसा उठा अचानक तूफान जिंदगी में बिखरा पड़ा है मेरा हर दर्द शाइरी मेंअच्छी भली रफाकत बदली है दुश्मनी में हक बात इस जबां से निकली जो बेखुदी मेंदुश्मन बना चुका हूँ कितने ही दोस्तों को जीने लगा हूँ जब से मैं सच की रौशनी में

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वो आँगन याद आता है

वो आँगन याद आता है, वो तुलसी याद आती है जहाँ खेले थे बचपन में, वो मिट्टी याद आती हैकभी शहनाई बजती थी तो उसकी याद आती थी और अब शहनाई बजती है तो बेटी याद आती है

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सुख-दुख दोनों ही आते हैं

सुख-दुख दोनों ही आते हैं, एक साथ त्योहार में मिल जाएँगे, डरे हुए हामिद, मेले-बाजार मेंगाँव-शहर में मौत टहलती, मातम है, सन्नाटा है फिर भी खुशियाँ चहक रही हैं, टीवी पर, अखबार में

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झेल न पाया लम्बा घाटा रमदुल्ला

झेल न पाया लंबा घाटा रमदुल्ला खेती बाड़ी छोड़ के भागा रमदुल्लासूखा, पाला, ओला, बारिश, आग, हवा,सालों साल मुसीबत मारा रमदुल्लाजमा

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