जब मिले सच कोई नया भंते

जब मिले सच कोई नया भंते भूल जाना मेरा कहा भंतेज्ञान का तेल त्याग की बाती अपना दीपक स्वयं जला भंतेदुनिया बदली तो प्रश्न भी बदले कर नहीं पाए सामना भंतेहोता है ज्ञान में नशा भंते बुद्ध को होश था कहाँ भंते

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क्यों रुका है राह में दर्द से भरा हुआ

क्यों रुका है राह में दर्द से भरा हुआहम भी तेरे साथ हैं तू है क्यों डरा हुआजिंदगी है इक सफर सुख-दुखों के राग हैंगा रहा है मन कोई, कोई मन मरा हुआ है

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वो तो हम सब को ही

वो तो हम सब को ही आपस में लड़ा देता है दरमियाँ रख के वो चिंगारी हवा देता हैपहले देता है जख्म मुझको वो मेरा हमदम फिर मुझे अपना बताता है दवा देता हैतू जो पूछेगा कबूतर से तो क्या बोलेंगे

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मिलाओ दिल से दिल को तुम

मिलाओ दिल से दिल को तुम यही सच्ची इबादत है अजी, इस प्यार की तो पत्थरों को भी जरूरत हैहो उसका नाम लेकर भी सदा आपस में लड़ते तुम कहाँ ये उसका सज्दा है, ये तो उससे बगावत है

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चिलचिलाती धूप में ये क्यारियाँ

चिलचिलाती धूप में ये क्यारियाँ मर जाएँगी क्यारियाँ जो मर गईं तो तितलियाँ मर जाएँगीवंश को अपने बचाना चाहते हैं किस तरह गर्भ होगा ही नहीं, जब लड़कियाँ मर जाएँगी

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आदमी का जब सफर तनहा

आदमी का जब सफर तन्हा हुआ है रास्ता उसके लिए लंबा हुआ हैखेलता है वो मेरे जज्बात से अब दिल मेरा उसके लिए ‘कोठा’ हुआ हैयह जरूरी तो नहीं मैला ही होगा

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