गाम-दर-गाम है खड़ा जींगल

गाम-दर-गाम है खड़ा जींगल या कहूँ साथ चल रहा जींगलपहले जींगल था मसफा जींगल में अब तो नगरों में आ-गया जींगल‘एक तोता था एक मैना थी’ कह रहा है कोई कथा जींगल

और जानेगाम-दर-गाम है खड़ा जींगल

है अजब ये खामुशी

है अजब ये खामुशी दे रही आवाज भीहोश हो या बेखुदी याद रहती आपकीकातिलाना हो गई आपकी ये सादगीवो मुखातिब तो रहे पर नहीं कुछ बात की

और जानेहै अजब ये खामुशी

हर रस्ते की मंजिल है क्या

हर रस्ते की मंजिल है क्या अंबर का भी साहिल है क्यातुझको पाकर खोया खुद को ये ही मेरा हासिल है क्यातू अब पास नहीं आता है मुझसे मिलना मुश्किल है क्या

और जानेहर रस्ते की मंजिल है क्या

पत्थरों से दूर जाना चाहता है

पत्थरों से दूर जाना चाहता है आइना भी मुस्कुराना चाहता हैकाटना मत इस शजर को वो परिंदा अपने बच्चों को दिखाना चाहता हैकौन अपना अब पराया कौन होगा इक पड़ोसी ये बताना चाहता है

और जानेपत्थरों से दूर जाना चाहता है

वक्त से खींचतान है तो क्या

वक्त से खींचतान है तो क्या मुश्किलों में ये जान है तो क्याझोंक डालोगे आग में सब कुछ बाप तेरा किसान है तो क्यामैं सुरक्षित हूँ आज पिंजरे में ये खुला आसमान है तो क्या

और जानेवक्त से खींचतान है तो क्या

तुम्हारा साथ सफर में बहुत जरूरी है

तुम्हारा साथ सफर में बहुत जरूरी है कि जैसे रौशनी घर में बहुत जरूरी हैपढ़ेंगे शौक से अखबार ये जहाँ वाले किसी का दर्द खबर में बहुत जरूरी हैहमें भी प्यार जताना अगर पड़ा उनको धड़कता दिल यूँ जिगर में बहुत जरूरी है

और जानेतुम्हारा साथ सफर में बहुत जरूरी है