खबर में रह, नई रफ्तार बन जा

खबर में रह, नई रफ्तार बन जा निकल हुजरे से अब बाजार बन जापसीने की कमाई का मजा ले कभी दो पल को तो खुद्दार बन जामुसलसल ये दुकाँ चलती रहेगी, कभी टोपी कभी जुन्नार बन जा

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गाम-दर-गाम है खड़ा जींगल

गाम-दर-गाम है खड़ा जींगल या कहूँ साथ चल रहा जींगलपहले जींगल था मसफा जींगल में अब तो नगरों में आ-गया जींगल‘एक तोता था एक मैना थी’ कह रहा है कोई कथा जींगल

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है अजब ये खामुशी

है अजब ये खामुशी दे रही आवाज भीहोश हो या बेखुदी याद रहती आपकीकातिलाना हो गई आपकी ये सादगीवो मुखातिब तो रहे पर नहीं कुछ बात की

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हर रस्ते की मंजिल है क्या

हर रस्ते की मंजिल है क्या अंबर का भी साहिल है क्यातुझको पाकर खोया खुद को ये ही मेरा हासिल है क्यातू अब पास नहीं आता है मुझसे मिलना मुश्किल है क्या

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पत्थरों से दूर जाना चाहता है

पत्थरों से दूर जाना चाहता है आइना भी मुस्कुराना चाहता हैकाटना मत इस शजर को वो परिंदा अपने बच्चों को दिखाना चाहता हैकौन अपना अब पराया कौन होगा इक पड़ोसी ये बताना चाहता है

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वक्त से खींचतान है तो क्या

वक्त से खींचतान है तो क्या मुश्किलों में ये जान है तो क्याझोंक डालोगे आग में सब कुछ बाप तेरा किसान है तो क्यामैं सुरक्षित हूँ आज पिंजरे में ये खुला आसमान है तो क्या

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