गजलों में बसी लोक भारती की आत्मा
गजलकार जो लिख रहे हैं, वह युग की माँग है और समय का आग्रह भी। गजलकार ग्राम्य जीवन का वही चित्र रेखांकित कर रहे हैं। वही समस्याएँ उठा रहे हैं, जो इस समय के ज्वलंत प्रश्न हैं। गाँव में ही और गाँव से ही भारत की विशिष्ट पहचान है।