बेटी पर सख्ती, बेटे को मस्ती के अधिकार मिले

बेटी पर सख्ती, बेटे को मस्ती के अधिकार मिले नगर नगर कस्बों गाँवों को सीख में ये उपहार मिलेबालिग नाबालिग सब वहशी, तल्बा जुल्म के मकतब के औरत की अस्मत के लुटेरे बन के सरे-बाजार मिलेबेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी बसाओ के नारे

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हौसलों के नगर में रहे

हौसलों के नगर में रहे ख्वाब मेरे सफर में रहेमास्क पहने रहे मुँह पे दो अपनी सेहत के डर में रहेराहतें जो नहीं दे सके हॉस्पिटल खबर में रहेआग शमशान की कब बुझी अश्क ही चश्मे तर में रहे

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आँखों से स्कैन किया

आँखों से स्कैन किया कातिल चेहरा बैन कियाखौफ की इक कालीन बिछा दुश्मन को बेचैन कियाभक्त बना शिव का मैं भी घर अपना उज्जैन कियासपने सब रंगीन हुए

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है सूखे की साल कहा तो देशद्रोह है

है सूखे की साल कहा तो देशद्रोह है हो गई महँगी दाल कहा तो देश द्रोह हैजगह, जगह पर फैली हुई अराजकता ठीक नहीं हैं हाल कहा तो देश द्रोह हैनंगे, भूखे लोग करोड़ों फिरते हैं

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दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था

दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था तुम्हारे घर का सफर इस कदर सख्त न था।इतने मसरूफ थे हम जाने के तैयारी में, खड़े थे तुम और तुम्हें देखने का वक्त न था।मैं जिस की खोज में ख़ुद खो गया था मेले में,

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कट न जाए जुबान मत खोलो

कट न जाए जुबान मत खोलो ये सियासत है यार कम बोलोधूप है तेज और प्यासे हम इस कुएँ में न जहर अब घोलोजिंदगी भर न तौल पाओगे सच के पलड़े में झूठ मत तोलो

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