मत गँवा वक्त सिर्फ रोने में
मत गँवा वक्त सिर्फ रोने में लग जा ख्वाबों को फिर सँजोने मेंएक दुख के सिवा मिला ही क्या मरते रिश्तों को यूँ ही ढोने मेंजख्म नासूर बनता जाता है अश्क से रोज-रोज धोने में
मत गँवा वक्त सिर्फ रोने में लग जा ख्वाबों को फिर सँजोने मेंएक दुख के सिवा मिला ही क्या मरते रिश्तों को यूँ ही ढोने मेंजख्म नासूर बनता जाता है अश्क से रोज-रोज धोने में
भूलकर माजी अभी की बात कर रो चुका तू अब हँसी की बात करस्वर्ग कैसे बन सकेगा यह वतन कुछ तो वो जादूगरी की बात करबात कोई भी निराशा की न हो जिंदगी में जिंदगी की बात कर
कराहें तेज होती जा रही हैं जहन में मौन बोती जा रही हैंदवाखाने को दौलत की पड़ी है हमारी साँसें खोती जा रही हैंअभी तहजीब की खेती भी होगी अभी बस कौमें जोती जा रही हैं
अजब कहानी है भूखी रानी हैआम सड़क है बंद पुल पर पानी हैसाधू क्यों है मौन राजा दानी हैजनता, राजा, देश पीर पुरानी हैदुःशासन तैयार लाज बचानी है
तुमको इस दुनिया ने अब तक है दिया कुछ भी नहीं और तुम निकले भी ऐसे कि लिया कुछ भी नहींजिंदगी माँगी है तो कैसे नहीं रोओगे जुर्म ये इतना बड़ा है कि सजा कुछ भी नहींजिसको खुद पे न भरोसा हो न औरों पर ही ऐसे लोग दुनिया में जी के भी जिया कुछ भी नहीं
हमारी बात का तुम उम्रभर कहा रखना निभे न दोस्ती तो दुश्मनी को क्या करनाभले ही पीठ की आँखों को तुम खुला रखना हजार बातें वो दुख की मगर भुला रखनामेरी तो इतनी-सी कोशिश है–इब्तिदा रखना उसी जमीन पे तुमको है–इन्तिहा रखना