समय का रावणी अब आचरण है
समय का रावणी अब आचरण है जहाँ देखो वहाँ सीता-हरण हैक्रिया अब सर्वनामों की शरण है हुआ संज्ञा का जैसे अपहरण हैसियासत की चलो पर्तें उधेड़ें यहाँ तो आवरण पर आवरण है
समय का रावणी अब आचरण है जहाँ देखो वहाँ सीता-हरण हैक्रिया अब सर्वनामों की शरण है हुआ संज्ञा का जैसे अपहरण हैसियासत की चलो पर्तें उधेड़ें यहाँ तो आवरण पर आवरण है
उसने ऊँचाइयाँ बना ली हैं हमने कुछ सीढ़ियाँ बना ली हैंफूस की झुग्गियों के बनते ही उसने कुछ तीलियाँ बना ली हैंआदमी-आदमी नहीं लगता कौन सी बस्तियाँ बना ली हैं
जो चाहे धूप का रुतबा दिखाना उसे बस पेड़ का साया दिखानाउदासी के भी दर्पण में तू हमको जरा हँसता हुआ चेहरा दिखानालगे जन्नत-सी ये दुनिया हमारी फरिश्तों को वो रुख अपना दिखाना
जुल्म ऐसे कि वो ढाते हुए थक जाते हैं और हम खुद को बचाते हुए थक जाते हैंक्या मनाएँगे किसी गैर की रूठी किस्मत वो जो खुद ही को मनाते हुए थक जाते हैंअपने अहसान गिनाते हुए थकते ही नहीं वो जो अफसोस जताते हुए थक जाते हैं
आपसे मिलकर मुझे अच्छा लगा प्यार का तेवर मुझे अच्छा लगाआपसे संवेदना यों मिली पत्थरों का घर मुझे अच्छा लगा
तुम्हारी याद को दिल से लगाए बैठे हैं हसीन ख्वाब का इक घर सजाए बैठे हैंतमाम उम्र गजाला की तरह गुजरी है तुम्हारे दर्द को अपना बनाए बैठे हैं