जिंदगी के हर सफर का है
जिंदगी के हर सफर का है अलहदा रास्ता मेरा अपना रास्ता है, तेरा अपना रास्तामेरी यह मुश्किल भला कैसे समझता रास्ता खोज पाता मैं नहीं अब अपने घर का रास्ता
जिंदगी के हर सफर का है अलहदा रास्ता मेरा अपना रास्ता है, तेरा अपना रास्तामेरी यह मुश्किल भला कैसे समझता रास्ता खोज पाता मैं नहीं अब अपने घर का रास्ता
मेरे बच्चे स्कूल जाने लगे हैं मुझे पाठ क्या-क्या पढ़ाने लगे हैंउसे भी मिटा सकता हूँ तेरी खातिर बनाने में जिसको जमाने लगे हैंकहाँ बैठने देते हैं दोस्तों में नई उम्र को हम पुराने लगे हैं,
सच्चाइयों का साथ निभाने से डर गए मरने से पहले लोग कई बार मर गएथे जिंदगी के साथ मेरी हर कदम पे जो नजरें तलाशती हैं उन्हें, वो किधर गएहम भी हवस के दश्त में फिरते तमाम उम्र अहसान है ये दर्द का कुछ कुछ सँवर गए
पीड़ा की हर ओर पुकारें कैसे गाते रहें मल्हारेंसभी प्रशंसा चाहें झूठी किस किस की आरती उतारेंजब अपनो से ही लड़ना है कैसी ‘जीतें’ कैसी ‘हारें’दीवारें बनती हैं इक दिन
कोई उम्मीद जगा दो कि मैं जिंदा हूँ अभी... मुझको अहसास दिला दो कि मैं जिंदा हूँ अभीबाद मरने के जताओगे बहुत अपनापन... तुम अभी क्यूँ न जता दो कि मैं जिंदा हूँ अभीकैद कर के मुझे कमरे में बुढ़ापे में तुम मुझको मुर्दा न बना दो कि मैं जिंदा हूँ अभी
उम्र की राह में कुछ ऐसे भी लमहे आए जैसे अनमोल विरासत कोई हिस्से आएऐसी बस्ती कि अँधेरा ही अँधेरा था वहाँ रोशनी देने में सूरज को पसीने आएमिट गए लोग अँधेरों को मिटाने के लिए तब कहीं जा के ये थोड़े से उजाले आए