कामयाबी हाथ ही आती नही, ऐसा नहीं
कामयाबी हाथ ही आती नहीं, ऐसा नहीं जिस तरह हम चाहते हैं उस तरह होता नहींमेहरबाँ हो ये मुकद्दर यूँ कभी सोचा नहीं जानते हैं मुफ्त में कुछ भी कोई देता नहींचाहते हैं आपकी उम्मीद पर उतरें खरे
कामयाबी हाथ ही आती नहीं, ऐसा नहीं जिस तरह हम चाहते हैं उस तरह होता नहींमेहरबाँ हो ये मुकद्दर यूँ कभी सोचा नहीं जानते हैं मुफ्त में कुछ भी कोई देता नहींचाहते हैं आपकी उम्मीद पर उतरें खरे
ऐ चितेरे इक अजन्मे की जगह खाली है पेड़ के चित्र में पत्ते की जगह खाली हैइक सिवा तेरे कोई और इसे क्या भरता दिल में अब भी तेरे हिस्से की जगह खाली हैयूँ तो कितने ही सितारों से सजा है ये फलक मेरे ही नाम के तारे की जगह खाली है
चंद्रमा की चाँदनी हो तुम पूर्णिमा की यामिनी हो तुमपास मेरे इस तरह बैठो मेघ में ज्यों दामिनी हो तुम
सच लिखने का फर्ज निभाया उसने भी मुझ जैसे ही हाथ कटाया उसने भीजब तक था कांधे पर कोई मोल न था काट के सर अनमोल बनाया उसने भीजिस्म के हिस्से बुनियादों में झोंक दिए सारे घर का बोझ उठाया उसने भी
रखा हुआ है पायदान दरवाजे पर बिछा हुआ है आसमान दरवाजे परदस्तक खुद दरवाजे देने लगते हैं लिखा हुआ है खानदान दरवाजे परयादों की खुश्बू से बदन महकता है बिखर गया है जाफरान दरवाजे पर
दर्द हालात से नहीं गुजरा मेरे जज्बात से नहीं गुजराऐसा मौसम है मुझमें सदियों से जो के बरसात से नहीं गुजराइतने सारे जवाब देकर भी वो सवालात से नहीं गुजराहै मेरे जेह्न में भी वो जिंदा