मुझमें तू था
मुझमें तू था भूल चुका हूँ एक जमाना भूल चुका हूँतू था मेरी पूरी दुनिया अब वो दुनिया भूल चुका हूँ
मुझमें तू था भूल चुका हूँ एक जमाना भूल चुका हूँतू था मेरी पूरी दुनिया अब वो दुनिया भूल चुका हूँ
कभी आके इधर हरियालियों पे बात करते हैं उधर जाके समुंदर में कहीं बरसात करते हैंहमें दिन-रात क्या मालूम, उनको ही पता ये सब जगाकर दिन वे करते हैं सुलाकर रात करते हैंलगाकर आग दरिया में, सुरक्षित बच निकलते खुद किनारे बैठकर कहते कि तहकीकात करते हैं
बातों से तो प्यार उड़ाए जाते हो हाथों से अंगार उड़ाए जाते होजुमले बस दो-चार उड़ाते थे पहले अब तो रोज हजार उड़ाए जाते होचिनगारी क्या कम थी आग लगाने को जो इतना अंगार उड़ाए जाते हो
आपसे नजदीकियाँ हैं इसलिए तन्हाइयाँ हैंआसमाँ पर ये सितारे आपकी रानाइयाँ हैंआशियाँ है खास तो क्या बिजलियाँ तो बिजलियाँ हैं
मुझको अपने पास बुला कर तू भी अपने साथ रहा करअपनी ही तस्वीर बना कर देख न पाया आँख उठा करबे-उन्वान रहेंगी वर्ना तहरीरों पर नाम लिखा कर
तुम जिसे शाम या सहर कहते हम उसे सिर्फ दोपहर कहतेबर्फ पिघली कि खुल गए रस्ते मौसमी ही है ये असर कहतेदेख लोगे धुआँ भी दरिया का थम जरा आँख में ठहर, कहते