तलाश करते हैं
आपकी हद तलाश करते हैं अपना दिल पाश पाश करते हैंपत्थरों को तराश कर क्यूँ लोग देवता को तलाश करते हैं
आपकी हद तलाश करते हैं अपना दिल पाश पाश करते हैंपत्थरों को तराश कर क्यूँ लोग देवता को तलाश करते हैं
पत्थर को पिघलने में अभी वक्त लगेगा अंदाज बदलने में अभी वक्त लगेगाबेवक्त भला रात कहाँ जाएगी आखिर सूरज को निकलने में अभी वक्त लगेगा
सिर्फ उम्मीद पर टिकी मिट्टी कुछ नये ख्वाब देखती मिट्टी उड़ लो जितना यहीं पे आओगे कह रही है जमीन की मिट्टी
न अब पानी को पानी कह रही है नदी अपनी कहानी कह रही हैउदासी को समेटे बूढ़ी अम्मा ये दुनिया आनी जानी कह रही है
उसे ये कौन बताए कि खींचा-तानी में किसी भी रिश्ते की हो डोर टूट जाती हैसभी के हाथ में ख़ंजर दिखाई देते हैं मगर ये भीड़ कहाँ सच को देख पाती हैजो देखना हो तो देखो बरसते पानी में तभी सड़क की हक़ीक़त समझ में आती है
जिक्र तेरा मेरे शहर में नहीं आईने में है तू नजर में नहीं वो महाजन भी रोज आता है मैं भी कहता हूँ कह दो घर में नहीं सारी दुनिया…