बात लिखकर कलम से

वो समंदर है सूख जाएगा कोई नक्शा गजब उकेरा हैलोग चलते हैं इस भरोसे पर दो कदम दूर बस सवेरा हैचाह कर भी न वो सँभल पाया इस तरह मुफलिसी ने घेरा है

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मत समझो दुनिया वाले अंजाने हैं

फाजिल बातों में उलझाने का मतलब असली मुद्दों से केवल भटकाने हैंपरिभाषित कर कोरोना घर-घर कहती जिनको भी अपना कहते, बेगाने हैं

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आप आए हैं

आप आए हैं फिर, शुक्रिया आपका गाँव भाए हैं फिर, शुक्रिया आपका बदबुओं से भरे ये गली-रास्ते महमहाये हैं फिर, शुक्रिया आपका ख़ुशनुमा वायदों की गठरियाँ कई ढो के लाए हैं फिर, शुक्रिया आपका

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पानी बरसा धुआँधार

पानी बरसा धुआँधार फिर बादल आए रे धन्य धरा का हुआ प्यार, फिर बादल आए रेधूल चिड़चिड़ी धुली, नहा पत्तियाँ लगीं हँसने प्रकृति लगी करने सिंगार, फिर बादल आए रे

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रहने को ख़ुशी आई थी

(पाँच) रहने को ख़ुशी आई थी मेहमान हो गई दो दिन ही सही मुझ पे मेहरबान हो गई भगवान तो हँसते हैं खुले खेत में, दिल में मंदिर में बंद मूर्ति लो भगवान हो गई

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घबराइए न, आइए यह आपका घर है

घबराइए न, आइए यह आपका घर है मेरे समीप आने में किस बात का डर है मिल करके जिससे पाल लिया भय है आपने उसका मनुष्य लेखनी भर में है, ख़बर है

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