वो दिल मुझसे लगाना चाहता है
वो दिल मुझसे लगाना चाहता है वो अब अपना बनाना चाहता हैनजर भर देख कर जीने लगा वो नजर में अब बसाना चाहता हैमेरी वो माँग हाथों से सजाकर मुझे दुल्हन बनाना चाहता है
वो दिल मुझसे लगाना चाहता है वो अब अपना बनाना चाहता हैनजर भर देख कर जीने लगा वो नजर में अब बसाना चाहता हैमेरी वो माँग हाथों से सजाकर मुझे दुल्हन बनाना चाहता है
कभी तपती हुई सी धूप हूँ मैं नारी हूँ पेय शीतल रूप हूँ मैंकभी हूँ अंत तो आरंभ भी हूँ काली, चंडी, कई स्वरूप हूँ मैंसदा मिहनत कि रोटी तोड़ती हूँ लबालब स्वेद की इक कूप हूँ मैं
सही गलत पर अड़ा हुआ है जो रातभर में बड़ा हुआ हैअभाव में जब स्वभाव बदला उदार दिल भी कड़ा हुआ हैवो दौड़ने का सिखाता नुसखा अभी-अभी जो खड़ा हुआ हैधरा बताती उखाड़ लेना
पाँव जमीं पर रख देने से, घरती-पुत्र नहीं होताचंदन को घसना पड़ता है, पौधा इत्र नहीं होतादुनिया चाहे कुछ भी कर ले, कह ले
चाहे हकमारी करेगा या कलाकारी करेगादेखना जल्दी ही कोई घोषणा जारी करेगाआपका विश्वास शायद कुछ तो गद्दारी करेगा
धरती से अंबर तक ये हालात नहीं मौसम पर कब्जा कर ले औकात नहींमुर्दा बनकर जिंदा तो रह लेते हम जिंदा दिखना सबके बस की बात नहींहूनर, हिम्मत, मिहनत, खून-पसीने की मजदूरी लेते हैं हम, खैरात नहीं