अगर मैं खोया बहुत कुछ तो
अगर मैं खोया बहुत कुछ तो बहुत पाया भी कभी-कभी तो मिला मूल का सवाया भीडुबो गया जो बचाने के बहाने मुझको बहादुरी का उसी ने ख़िताब पाया भीज़मीर बेचकर कश्कोल1 का सौदा न किया इसी फ़कीरी ने ख़ुद्दार यूँ बनाया भी
अगर मैं खोया बहुत कुछ तो बहुत पाया भी कभी-कभी तो मिला मूल का सवाया भीडुबो गया जो बचाने के बहाने मुझको बहादुरी का उसी ने ख़िताब पाया भीज़मीर बेचकर कश्कोल1 का सौदा न किया इसी फ़कीरी ने ख़ुद्दार यूँ बनाया भी
मोह से दंशित समर्पण के प्रबल प्रतिवाद से पाप अपना धो रही सत्ता महज उन्माद सेतोड़कर सारी हदें जो प्रश्न संसद में उठे देखकर पथरा गईं आँखें मुखर संवाद सेमूल्य बदले जा रहे हैं आपसी संबंध के प्यार के बल से प्रलोभन जातिगत अनुवाद से
दूर सितारों के झुरमुट में परियाँ हैं माँ कहती थीं उन्हें नहाने को सोने की नदियाँ हैं माँ कहती थींबच्चों को जन्नत की सैर करा देती हैं लम्हों में उनके हाथों में जादू की छड़ियाँ हैं माँ कहती थींइस दुनिया का हुस्नो-जवानी ढल ही जाना है एक दिन हम मिट्टी की चलती-फिरती गुड़ियाँ हैं माँ कहती थीं
जितनी लगती है सुर्ख़ आज इतनी ये तो न थी ज़िदगी ज़ख़्मी थी मगर लहू-लहू तो न थी क्या हुआ उनको क्यों वो कर रहे हैं मुझको सलाम
कोई मसअला हल तो हो आज नहीं हाँ कल तो हो जो इंसाफ़ सभी को दे ऐसा राजमहल तो हो तुझमें भटकूँ जीवन भर पहले तू जंगल तो हो
लुटा कर हर ख़ुशी अपनी तू जिसका साथ पाए है कहाँ दौलत ये हरजाई किसी के साथ जाए है दहेजों के लिए जब लौटकर बारात जाए है