पास तुम्हें पाता हूँ

जब भी बहुत अकेला होता, पास तुम्हें पाता हूँ परेशानियों में रह कर भी हरदम मुस्काता हूँबिन खिड़की, बिन दरवाजे का घर इक, घना अँधेरा, उसके अंदर बंद हुआ मैं–अक्सर सपनाता हूँयक्ष रामगिरी पर मैं शापित, बेवश क्या कर सकता? बहुरें दिन, इस इंतजार में मेघदूत गाता हूँ

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वह भी बना कबीर

वह भी बना कबीर कि बातें करना उल्टी बानी में, आग लगाना सीखे कोई उससे ठंढे पानी में।मुश्किल नहीं कयास लगाना, आगे क्या कर सकता है, जिसने पी हो घूँट खून की बिल्कुल भरी जवानी मेंबिजली, पानी, सड़क, न्याय की प्रजा भूल जाए बातें, अब तो साले के मुद्दे पर ठनी है राजा-रानी में

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तेरी पहचान में

मित्र, कुछ स्वर्गिक-सुकोमल है तेरी पहचान में, जो हमेशा गूँजता रहता है मेरे गान मेंतीर्थ-व्रत से भी अधिक तब लाभ होता पुण्य का, निष्कलुष हो कर हृदय जब दो किसी को दान मेंजो नहीं अब तक कहा वह कह रहा हूँ बात मैं, गीत मेरे सब कसीदे हैं तुम्हारी शान में

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कुछ अनोखे गीत गाना चाहता हूँ

कुछ अनोखे गीत गाना चाहता हूँ मैं तुझे फिर से रिझाना चाहता हूँअश्रु का मुस्कान में अनुवाद करना जान ले सारा जमाना, चाहता हूँशत्रु सारे मित्रता के मंत्र बाँचें, एक लौ ऐसी जलाना चाहता हूँ

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बहुत दिन हो गए

आपको आए बहुत दिन हो गए साथ मिल गाए बहुत दिन हो गएखेत की परतें डहकती रह गईं मेघ को छाए बहुत दिन हो गएडाकिया तो रोज ही आता रहा खत मगर पाए बहुत दिन हो गए

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