तीन गज़लें
तीन ग़ज़लें Asaf-ud-dowlah listening to musicians in his court- Wikimedia Commons

तीन गज़लें

कब-कहाँ होता है मेरा आना-जाना ये तो पूछ किसके-किसके है खयालों में ठिकाना ये तो पूछहम न जीते हैं न जीतेंगे कभी शायद मगर चाहता है क्यों कोई हमको हराना ये तो पूछ

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