कि आँखों में आँसू को मलना पड़ा था

कि आँखों में आँसू को मलना पड़ा था उसे जब सँवर के निकलना पड़ा था जमाने की वहशी नजर लग न जाए जरूरत का दामन बदलना पड़ा था

और जानेकि आँखों में आँसू को मलना पड़ा था
 तीन गज़लें
तीन ग़ज़लें Asaf-ud-dowlah listening to musicians in his court- Wikimedia Commons

तीन गज़लें

कब-कहाँ होता है मेरा आना-जाना ये तो पूछ किसके-किसके है खयालों में ठिकाना ये तो पूछहम न जीते हैं न जीतेंगे कभी शायद मगर चाहता है क्यों कोई हमको हराना ये तो पूछ

और जानेतीन गज़लें