धुंध, न कोहरा, न ही जालों का नाम है

धुँध, न कोहरा, न ही जालों का नाम है जिंदगी ऐ दोस्त! उजालों का नाम हैगम के बादलों घिरी अँधेरी रात में सुबह के हसीन ख्यालों का नाम हैगर सुलझ गई तो है हर प्रश्न का उत्तर वरना ये अंतहीन सवालों का नाम है

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खामखा मखलूक पर बिगड़ा हुआ है

खामखा मखलूक पर बिगड़ा हुआ है आजकल मेरे खुदा को क्या हुआ हैपूछ तो आखिर घड़ी को क्या हुआ है क्यों समय का थोबड़ा उतरा हुआ हैखामुशी तन्हा रहा करती थी अक्सर बाद-मुद्दत शोरो-गुल तन्हा हुआ है

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मंदिर मस्जिद और शिवाला तेरे दर

मंदिर, मस्जिद और शिवाला तेरे दर गोशा-गोशा नर्म उजाला तेरे दरजब-जब चाँद के पैरों में जंजीर पड़ी दौड़ के आया चाँद का हाला तेरे दरचेहरा-चेहरा फैला है अनवारे-खुदा

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अगर जो साथ-साथ आन-बान ले के चलो

अगर जो साथ-साथ आन-बान ले के चलो हर एक वक्त हथेली पे जान ले के चलोकदम-कदम यहाँ शिनाख्त होने वाली है तिलक, टोपी या क्रॉस इक निशान ले के चलोबचेगा कुछ भी नहीं साथ आखिरी दम पे

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दिल में जब तक लगन नहीं होती

दिल में जब तक लगन नहीं होती जिंदगानी चमन नहीं होतीयूँ ही गालिब गजल नहीं होता यूँ ही मीरा भजन नहीं होतीकस रही है गुरूर की टाई वरना इतनी घुटन नहीं होती

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पौध कड़वाहट के काटें, प्यार बोएँ

पौध कड़वाहट के काटें, प्यार बोयें रात-रानी, कुमुदिनी, कचनार बोयेंमन भी है, मौसम भी है वातावरण भी कुछ शरारत और कुछ मनुहार बोयेंजिंदगी जिंदादिली का नाम है तो

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