महकी हुई बहार में फूलों

महकी हुई बहार में फूलों की राह से चूमा है मेरा नाम किसी ने निगाह सेवो जो है एक हर्फ तेरी याद से जुड़ा निकला नहीं है आज भी मेरी पनाह सेसच फिर से मुजरिमों के ही पैरों पे जा गिरा हासिल न कर सकी जो अदालत गवाह से

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समझने के लिए लहजे

समझने के लिए लहजे बहुत हैं जुबान से क्या कहूँ किस्से बहुत हैंहवा के साथ मैं जाऊँ कहाँ तक मेरे होने के भी चर्चे बहुत हैंनहीं जो आँधियों से खौफ खाते चिरागों की तरह जलते बहुत हैं

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अगर मैं खोया बहुत कुछ तो

अगर मैं खोया बहुत कुछ तो बहुत पाया भी कभी-कभी तो मिला मूल का सवाया भीडुबो गया जो बचाने के बहाने मुझको बहादुरी का उसी ने ख़िताब पाया भीज़मीर बेचकर कश्कोल1 का सौदा न किया इसी फ़कीरी ने ख़ुद्दार यूँ बनाया भी

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मोह से दंशित समर्पण के प्रबल

मोह से दंशित समर्पण के प्रबल प्रतिवाद से पाप अपना धो रही सत्ता महज उन्माद सेतोड़कर सारी हदें जो प्रश्न संसद में उठे देखकर पथरा गईं आँखें मुखर संवाद सेमूल्य बदले जा रहे हैं आपसी संबंध के प्यार के बल से प्रलोभन जातिगत अनुवाद से

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दूर सितारों के झुरमुट में परियाँ

दूर सितारों के झुरमुट में परियाँ हैं माँ कहती थीं उन्हें नहाने को सोने की नदियाँ हैं माँ कहती थींबच्चों को जन्नत की सैर करा देती हैं लम्हों में उनके हाथों में जादू की छड़ियाँ हैं माँ कहती थींइस दुनिया का हुस्नो-जवानी ढल ही जाना है एक दिन हम मिट्टी की चलती-फिरती गुड़ियाँ हैं माँ कहती थीं

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जब कभी याद तेरी आती है

जो  मुहब्बत  में  फूल  खिलते  हैं उनकी खुशबू फ़िजा में छाती हैधूप  होती  है  जब  गुलाती  कुछ तब  ग़ज़ल,  गीत  गुनगुनाती  है

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