कोई मसअला हल तो हो
कोई मसअला हल तो हो आज नहीं हाँ कल तो हो जो इंसाफ़ सभी को दे ऐसा राजमहल तो हो तुझमें भटकूँ जीवन भर पहले तू जंगल तो हो
कोई मसअला हल तो हो आज नहीं हाँ कल तो हो जो इंसाफ़ सभी को दे ऐसा राजमहल तो हो तुझमें भटकूँ जीवन भर पहले तू जंगल तो हो
लुटा कर हर ख़ुशी अपनी तू जिसका साथ पाए है कहाँ दौलत ये हरजाई किसी के साथ जाए है दहेजों के लिए जब लौटकर बारात जाए है
फूलों-पत्तों ने मिल-जुल कर क्या-क्या साज सजाए हैं ये क्या जाने इन पेड़ों ने कितने पत्थर खाए हैं
जिस्म से बिछड़ी हवा यानी हवा में मिल गए टूट पुर्जो में जो बेग़ाने हवा में मिल गए
भीड़ के नाम हो जाएँगे रास्ते जाम हो जाएँगेघूस देने से तो आज भी आपके काम हो जाएँगेरात भर नींद आती नहीं कैसे आराम हो जाएँगे
सैकड़ों मील चल कर गए लोग घर से निकल कर गएराह समतल न थी स्वप्न की इसलिए वो सम्हल कर गएउनकी आँखें छलकने लगीं दुःख के बादल विकल कर गए