बहुत दिन हो गए

आपको आए बहुत दिन हो गए साथ मिल गाए बहुत दिन हो गएखेत की परतें डहकती रह गईं मेघ को छाए बहुत दिन हो गएडाकिया तो रोज ही आता रहा खत मगर पाए बहुत दिन हो गए

और जानेबहुत दिन हो गए

खुद से रूठे तो मौसम बदल जाएंगे

खुद से रूठे तो मौसम बदल जाएंगे दास्तां बनके अश्कों में ढल जाएंगेरास्ते जब बनाओगे घर के लिए आँधियों के इरादे भी टल जाएंगे

और जानेखुद से रूठे तो मौसम बदल जाएंगे

आँधियों के आचरण से डर गए

आँधियों के आचरण से डर गए कुछ हरे पत्ते नवागत झर गएजो कि अपने ही गिरे दायित्व सेहम थके हारे उसी के घर गए

और जानेआँधियों के आचरण से डर गए

फासले तोड़ डाले गए

फासले तोड़ डाले गएगम नहीं जब संभाले गए बेअसर जिनके साये हुएवे घरों से निकाले गएइन दरख्तों की आगोश मेंजुल्म के नाग पाले गए

और जानेफासले तोड़ डाले गए

आँखों में लहू दिल में जो कांटा नहीं होता

आँखों में लहू दिल में जो कांटा नहीं होता फिर तुमसे अदावत का इरादा नहीं होता इतना तो बताओ कि सियासत तेरे घर में क्यों रात

और जानेआँखों में लहू दिल में जो कांटा नहीं होता