कल तलक था अब रहा नाता नहीं

कल तलक था अब रहा नाता नहीं अब कोई आता नहीं, जाता नहींभीड़ में था चाहता तन्हा रहूँ अब अकेलापन मुझे भाता नहीं

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इस हकीकत को जानती है रात

इस हकीकत को जानती है रात बेघरों के लिए कड़ी है रातशोर के वास्ते है पूरा दिन– खामुशी के लिए बनी है रातहै अँधेरे की जेब के अंदर जेब वाली कोई घड़ी है रात

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वो चाहता रहा जो कुछ कभी उसे मिला नहीं

वो चाहता रहा जो कुछ कभी उसे मिला नहींऐ जिंदगी मगर रहा उसे कोई गिला नहींकभी यहाँ, कभी वहाँ नसीब ले गया

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बदल रहे हैं यहाँ सब रिवाज क्या होगा

बदल रहे हैं यहाँ सब रिवाज क्या होगा मुझे ये फिक्र है कल का समाज क्या होगालहू तो कम है मगर रक्त चाप भारी है अब ऐसे रोग का आखिर इलाज क्या होगादिलो-दिमाग के बीमार हैं जहाँ देखो मैं सोचता हूँ यहाँ रामराज क्या होगा

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था जुनूने इश्क

था जुनूने इश्क जो दुश्वारियों ने खा लिया दिल की हसरत को भी जिम्मेदारियों ने खा लियाबिन जिए बचपन को अब बच्चे बड़े होने लगे बालपन की उम्र पहरेदारियों ने खा लियाहम खुशी के वास्ते तैयारियाँ करते रहे

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जुड़े हैं तार उसके भी

जुड़े हैं तार उसके भी हमारी बेहतरी से कई जो प्रश्नों उभरे हैं समय की डायरी सेकई मुल्कों में हथियारों की अब भी भूख बाकी नहीं उबरे हैं कितने मुल्क अब तक भुखमरी से

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