कभी आते कभी जाते हुए थक जाता हूँ

कभी आते कभी जाते हुए थक जाता हूँ दोस्तो, पाँव उठाते हुए थक जाता हूँमैं तो हर रोज निकल पड़ता हूँ घर से बाहर भीड़ में राह बनाते हुए थक जाता हूँ

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अब दिलों में प्यार का जज्बा नहीं

अब दिलों में प्यार का जज्बा नहीं ये हकीकत है कोई किस्सा नहींहो गए रिश्ते लिबासों की तरह चाहे जब बदलो कोई टंटा नहींरंजिशें ओढ़े मिले हैं यार सब प्यार से रहना हमें आया नहीं

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ये धरती आज भी चुप है

ये धरती आज भी चुप है, ये अंबर आज भी चुप है हमें जिस पर भरोसा है, वो पत्थर आज भी चुप हैउसी दिन से दरिंदों की शिकायत दर्ज है लेकिन वो थाना आज भी चुप है वो अफसर आज भी चुप है

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दिल करे तो कभी खफा होना

दिल करे तो कभी खफा होना हाँ मगर, हम से मत जुदा होनाइक नई फिक्र को हवा देगा जर्द पत्तों का फिर हरा होनायाद है हमको उस तबस्सुम का लब पे आते ही फलसफा होना

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चुरा के राग रंग खून से होली भर दी

चुरा के राग रंग खून से होली भर दी हवा में किसने सियासत की ये बोली भर दी चला था लेके चबेना मैं कल सफर के लिए किसी ने छिप के मेरी जेब में गोली भर दी

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अँधेरे चंद लोगों का

अँधेरे चंद लोगों का अगर मकसद नहीं होते यहाँ के लोग अपने आप में सरहद नहीं होतेन भूलो, तुमने ये ऊँचाइयाँ भी हमसे छीनी हैं हमारा कद नहीं लेते तो आदमकद नहीं होते

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