ये माना आईने से सामना अच्छा नहीं लगता
ये माना आईने से सामना अच्छा नहीं लगता किसे खिड़की से बाहर देखना अच्छा नहीं लगताकहीं अब भी वो अंदर से हमें आवाज देता है मगर क्यूँ अपने अंदर लौटना अच्छा नहीं लगता
ये माना आईने से सामना अच्छा नहीं लगता किसे खिड़की से बाहर देखना अच्छा नहीं लगताकहीं अब भी वो अंदर से हमें आवाज देता है मगर क्यूँ अपने अंदर लौटना अच्छा नहीं लगता
जब भी देखूँ उनको, आँखों के लिए राहत है उनमें पेड़ों पर आए हैं पत्ते फिर नई रंगत है उनमेंभेद सारा खोल देते हैं वो आँखों से निकल कर आँसुओं को कम भी मत समझो, बड़ी ताकत है उनमें
समाहित कर ले तू इनमें अगर किरदार का जादू तो फिर सर चढ़ के बोलेगा तेरे अशआर का जादूकभी सोचा नहीं था इस तरह नींदें उड़ाएगा हकीकत का मेरे ख्वाबों से हर इकरार का जादूमैं तेरे ध्यान के फूलों को अपने दिल में रखता हूँ मेरी हस्ती में शामिल है तेरी महकार का जादू
गढ़ता है सब निर्विकार-सा कोई तो है ही कुम्हार-सावर्ना जिह्वा मौन धार ले शब्द झरे तो हरसिंगार-सादुख में होता है उदास मन सुख में बज उठता सितार-सा
आदमी टिकता कहाँ है बात पर झट बदलता है फकत हालात परठीक है, वो कह गया भाषण में जो पर भरोसा क्या हो गिरगिट-जात परहो गई तब से खयालों की कमी वार जब से है हुआ जज्बात परवो तो बम, पिस्टल लिए था घूमता
दिखाई दे रही है उसमें ख्वाब की सूरत अँधेरी जिंदगी में आफताब की सूरतहरेक सिम्त पे बिखरी ख्याल की खुशबू छुपा के रखता है वो इक गुलाब की सूरतवो मेरी मुश्किलों में मेरे साथ रहता है