क्षितिज-लालिमा मुसकरा कह रही है
क्षितिज-लालिमा मुसकरा कह रही है
क्षितिज-लालिमा मुसकरा कह रही है
प्राण, तुम्हारे मधुर बोल ही इन गीतों में फूट रहे हैं!
तेरे मन की पीर ओसकण समझेंगे, न कि तारे!
चरखे गा दे, जी के गान!*एक डोरा सा उठवा जी परदोनों कहते बल दे, बल दे,