सुधि और शैला : : एक प्रतिक्रियात्मक गीत
शंकाओं के बादल तेरे– घिर आये हैं मेरे मन में!
शंकाओं के बादल तेरे– घिर आये हैं मेरे मन में!
यही गाछ है जिसके नीचे कभी किसी दिन सपना टूटा
बहुत करीब तुम्हारे घर से राह हमारी गुजर गयी है !
तुम हो कौन छिपे गहरे में ? पाया नहीं लाख चेहरों में