किसकी ध्वनि कानों में आई
किसकी ध्वनि कानों में आई लगता है कोई समीप आ
किसकी ध्वनि कानों में आई लगता है कोई समीप आ
चाँद, तुम सब के, किसी का मैं नहीं हूँ! भाग्य ऐसा, तुम कहीं हो, मैं कहीं हूँ!!
मेरे नयनों में लहराती आधी-आधी रात गए तक– जाने किसकी सुधियों की यह धुँआधार बरसात है!