दंभ

अपने अस्तित्व से बेखबर समुद्र के असीम विस्तार में खोती जा रही थी डूबती जा रही थी इस नई अनरीति को जानती थी उसकी प्रीत को भी पहचानती थी फिर भी उस बंधन में बँधना कितना मधुर लगा था

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एक बरगद की मौत

अजय ने कहा, ‘बिना किसी पूर्व सूचना के गत बृहस्पतिवार शाम के समय अचानक कालवैशाखी ने अपना तांडव मचाया था पाटपुर में।

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प्यार का बुलबुला

‘हमें कठिन हालात में भी बहुत अच्छा करना होगा। क्योंकि हमसे कई लोगों की उम्मीदें जुड़ी हैं। अगर हम भटक गए तो हमारी एक और पीढ़ी गरीबी और मुफलिसी में तिल-तिल तड़पने को मजबूर हो जाएँगे।’

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होत चीकने पात

इस स्वतंत्रता की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है, यह महत्वपूर्ण तथा कठिन कार्य है। हमें इसके लिए बहुत कुछ करना है।

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