पद और सम्मान

शर्मा जी हँसते-मुस्कुराते मालकिन को उनकी व्यक्तिगत सफलता पर बधाई देने अंदर गए तो वहाँ दूसरा ही भयानक दृश्य देखकर वह सन्न हो गए। मालकिन का इतने दिनों से और इतनी बंदिशों से बनाया हुआ मूड एकदम बिगड़ गया है और चौके में से चावल-दाल निकलवाकर नाली में फेंकवा रही हैं। रणचंडी का रूप धारण कर लिया है और गालियों की बौछार से गानेवालियों को भी मात कर रही हैं

और जानेपद और सम्मान

भूख

दूर-दूर से भूखों की टोलियाँ मेरे हाते में पहुँचतीं और जहाँ कहीं भी डूबे हुए अनाज मिलते उन्हें डुबकी लगाकर लूट लेतीं।

और जानेभूख

पालनाघर

मुरारी बाबू ने आपके यहाँ से जाकर पालनाघर में ताला लगा दिया और भंगियों को भड़का दिया–खबरदार, इस पालनाघर में कोई भी बच्चा न जाने पाए।

और जानेपालनाघर

तलाश

पचास हजार नहीं–सिर्फ पचास रुपयों में वह झंझटों को पार कर अपनी बेटी को सुखी कर लेगा। इसके लिए इतना ही सब कुछ है। मगर वह भी मयस्सर नहीं। उधर उतना सब कुछ पाने पर भी तसल्ली नहीं।

और जानेतलाश

नेत्रदान

पूर्वजन्म के शाप तथा पाप-पुण्य के गोरखधंधे से निकलकर विज्ञान ने उसे दो आँखें दे दीं। ‘वाह! कितनी बेजोड़ हैं ये आँखें, कितनी अनमोल हैं ये आँखें!’

और जानेनेत्रदान

हरे राम…

क्या भारत में मीनी शर्ट, ड्रेन पाइप पतलून, कोकाकोला की तरह अब रामनाम की महिमा भी अमरीका से इंपोर्ट होकर ही आएगी? और, शायद तभी हम उसकी गरिमा को समझ भी पाएँगे! राम जाने!

और जानेहरे राम…