पागल
यदि वह पागल नहीं होता तो अपने भोजन के लिए अवश्य ही जालसाजी करता, फरेब करता, चोरी-डकैती करता अथवा भीख ही माँगता...उसके पास भीख माँगने की झोली तक नहीं और वह अलमस्त बना रहता है। जरूर वह पागल है।
यदि वह पागल नहीं होता तो अपने भोजन के लिए अवश्य ही जालसाजी करता, फरेब करता, चोरी-डकैती करता अथवा भीख ही माँगता...उसके पास भीख माँगने की झोली तक नहीं और वह अलमस्त बना रहता है। जरूर वह पागल है।
मैं सोच रहा था–आज जोश में जाने ढाई रुपये के कितने ‘पेग’ उड़ गए होंगे–कुछ पेट में गए और कुछ फर्श पर–लेकिन इसके लिए एक अठन्नी भी जेब से निकालना पहाड़ हो गया।
राजेश कभी-कभी हँसते-हँसते कह बैठता है–“माला की माला की काया भले ही सूखी हो, मगर इसकी माया तो हरी है–आज भी हरी है और सदा हरी ही रहेगी।”
उसे न चाहिए वैसी बीवी जिसे दुनिया परी कहती हो, जिसे कला और संगीत से प्रेम हो सौंदर्य और फैशन में बेजोड़ हो। वह तो इसी साँवली और देहाती छोकरी में संसार का सारा सौंदर्य देखेगा, इसी माटी की मूरत में वह अपने तमाम अरमानों को सन्निहित पाएगा। शारदा की नजरों में वह किसी रूपसी से कम नहीं।