पानी

मंदाकिनी नौकर दाई के दु:ख से बेदम हो उठी थी। नौकर तो उसके कभी था ही नहीं। बेचारी विधवा थी, गाँव से अपने खेत की उपज मँगा लेती थी।

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दिल्ली का तख्त

गत रात को चुप अकेले में पलंग पर पड़े हुए बादशाह को जिस परी जमाल का स्वर मध्यरात्रि की अभिसारिका के प्रथम चुंबन-सा प्रतीत हुआ था, आज वही स्वर तिक्त नीम-सा अनुभूत हुआ।

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भगवा÷हरा = गुलामी

पहले शीर्षक से आप चौंकेंगे–सो उसे समझा दूँ। भगवे से तात्पर्य है हिंदूधर्म की ध्वजा जैसे शिवाजी का भगवा झंडा, ‘हिंदू पद-पादशाही’ की पताका।

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हाय री आँखें!

यहाँ तो जो आज आँखों का खिलौना है वही कल घिनौना बन आँखों से ओझल हो जाता और जो कल कल्पना से भी परे था वही आँखों में समाकर उसकी प्रेरणा बन जाता।

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पागल

यदि वह पागल नहीं होता तो अपने भोजन के लिए अवश्य ही जालसाजी करता, फरेब करता, चोरी-डकैती करता अथवा भीख ही माँगता...उसके पास भीख माँगने की झोली तक नहीं और वह अलमस्त बना रहता है। जरूर वह पागल है।

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