दुम

‘आज देखता हूँ।’–आत्मविश्वास से मैं तन गया था! इसका आभास होते ही मेरी गर्दन पुनः सामान्य हो गई। ‘मामा जी, यदि एक बार अंदर कर देंगे तो जल्दी बेल भी नहीं होने देंगे एमएलए साहब, उसका तो जिला जज के साथ अच्छा उठना-बैठना होता है।

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न्यायाधीश की पत्नी

न्यायाधीश की पत्नी ने हर पल पर पकड़ हासिल कर ली। उसने मनमोहक और लुभावनी अदाएँ निकोलस विडल पर इस्तेमाल की।

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गठबंधन

जोरों की झमझम बारिश देख मुक्ता की इच्छा हो रही थी कि वह देर तक बैठकर इस टिप-टिप स्वर को सुनती रहे। इस स्वर के ताल में ताल मिलाकर वह अपने सारे दुःख भूल जाया करती थी। प्रकृति का यह नजारा उसे अपने बचपन में लेकर चला जाता था। वह ग्रीष्म ऋतु के बाद की पहली बरसात थी।

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पानी पिला दो नानी

हालाँकि सरकार ने घर-घर पानी की योजना की घोषणा जरूर कर रखी थी लेकिन घोषणा केवल घोषणा होती है। पानी की कोई व्यवस्था सरकार कर ही न सकी। मजबूरीवश गाँव की महिलाएँ सुबह उठकर पानी भरने पाँच किलोमीटर पैदल जातीं और पानी भर कर वापस लौटतीं। थकी-हारी। दिनभर गर्दन दुखती रहती। गाँव के मर्द कमाने शहर चले जाते और वे भी देर रात लौटते।

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चमक

‘बापू, अब मैं शहर जा रहा हूँ। रिजल्ट आने वाला है, सोचता हूँ, कोई नौकरी ढूँढ़ लूँ! रुपये-पैसों की फिकर मत करना। मैं शहर से भेजता रहूँगा। और हाँ, मेरा काम अब यहाँ चाची का बेटा मनोज सँभाल लेगा।’ जवाब तो किसी ने कुछ न दिया पर ख्याली ने गौर किया कि बापू और माँ उसे अलग ही चमक वाली आँखों से देख रहे हैं। इस चमक में बेटे के प्रति ऐसा यकीन भरा हुआ था जिसके आगे दुनिया की हर चीज की चमक फीकी थी।

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