कवि सम्मेलन

हाट की रौनक और चहल-पहल देखकर नीलकमल की आँखें चौंधिया गईं। भाँति-भाँति की बहुरंगी दुकानों की भरमार, भोंपुओं की कानफाड़ू कर्कश आवाजें और एक-दूसरे से टकराकर गड्ड-मड्ड होता वर्णसंकर संगीत।

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बैटरी

उसकी आँखों के सामने एक के बाद एक, बैटरी के कई रूप अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे थे–कार की बैटरी, फोन की बैटरी, उसकी खुद की भी; और खास तौर से उस अनजान फरिश्ते की, जो अपनी मदद की बैटरी से ताउम्र के लिए एक सुखद ऊर्जामयी अहसास छोड़ गया था।

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सौदा

सिंधु बॉर्डर से किसान आंदोलन को संबोधित कर जब घर आई तो पूसी काफी सुस्त और खिन्न लगी। जान पड़ता था, मेरी अनुपस्थिति में न तो किसी ने उसको ठीक से खिलाया-पिलाया था, न नहलाया-धुलाया ही।

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बेटी

पर मम्मी इतनी सुंदर दुनिया में हमारे अपने ही हम बेटियों से नफरत क्यों करते हैं? हमें भी तो इस सुंदर दुनिया को देखने का मानवीय हक है।

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पक्षपात

अभी फोन पर बात ही हो रही थी कि बातों के बीच में टू टू टू की आवाज आने लगी। ऐसा ही होता है पुस्तक प्रकाशन के बाद के कुछ दिनों तक।

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रूप की बेड़ी

मेरा यही रूप मेरी लिए बेड़ी बन चुकी है दीदी। मन तो करता है अपने चेहरे को जला दूँ। जहाँ जाती हूँ, वहीं ताना सुनना पड़ता है।

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