गठबंधन
जोरों की झमझम बारिश देख मुक्ता की इच्छा हो रही थी कि वह देर तक बैठकर इस टिप-टिप स्वर को सुनती रहे। इस स्वर के ताल में ताल मिलाकर वह अपने सारे दुःख भूल जाया करती थी। प्रकृति का यह नजारा उसे अपने बचपन में लेकर चला जाता था। वह ग्रीष्म ऋतु के बाद की पहली बरसात थी।