एक दिन आसमान नीला था
अरसे बाद सिराज को देखकर टुटुल मुस्कुराया। सिराज अपने पिता के पीछे खड़ा था। वह काफी लंबा हो गया है, उसकी पतली मूँछें भी उगने लगी थी। सिराज के पिता बटरफ्लाई मॉल के दरबान के आगे हाथ जोड़कर कह रहे थे।
अरसे बाद सिराज को देखकर टुटुल मुस्कुराया। सिराज अपने पिता के पीछे खड़ा था। वह काफी लंबा हो गया है, उसकी पतली मूँछें भी उगने लगी थी। सिराज के पिता बटरफ्लाई मॉल के दरबान के आगे हाथ जोड़कर कह रहे थे।
प्रभाकर और फुलझड़िया के बीच मानवीय संवेदनाओं की जो लौकिक नहीं हो सकती, रिश्ते का कोई नामकरण नहीं हो सकता
‘मैं वनफूल हूँ, जिसे बंधन की चाह नहीं...अपने वन के एकांत में खिलती हूँ, महकती हूँ...घूमती हूँ...मैं सोलो ट्रैवलर हूँ।
मेरी ही मति मारी गई थी, न जाने घर आने की इतनी जल्दी क्या थी? सब कुछ तो था ही।
ट्रैक्टर नामक यांत्रिक वाहन ने खेतों से हल-बैल बेदखल कर ही छोड़ा, ‘हलवाह’ शब्द को अप्रासंगिक बना कर ही छोड़ा।
अधिकांश लोग तो ऐसे ही हैं। उनकी दृष्टि में भी मैं ही पापी हूँ, जो उनको अपने घर आने से रोक रहा हूँ।